Monday, December 21, 2015

जब तुम मेरे पास होते हो...

तन्हाई से जाना है मैंने,
तुम्हारे होने का मतलब क्या है...
खुद में पूरी तो थी मैं पहले भी,
पर मेरे अस्तित्व में ये आयाम नहीं था...

तुम होते हो जब पास मेरे तो दिल में एक सुकून होता है,
कुछ सोचना नहीं, न समझना होता है,
बस जीना होता है 'हमारे' वक़्त को
मैं सही मायनों में ज़िंदा होती हूँ, जब तुम होते हो...

तुम होते हो जब पास मेरे, तो धूप और छाव सब सुहानी लगती है,
हाथ थाम चल दूँ तुम्हारा दूर कहीं, ये चाहत होती है
हर दिन मोहब्बत नया रंग ओढ़ लेती है,
और गहरी होती चलती है,
जब तुम होते हो...

बेफिक्र मैं, बिन नक़ाब, खुद को तुम्हारी आँखों में देख पाती हूँ,
और जान भी जाती हूँ प्यार तुम्हारा,
तुम मुझे मुझ जैसा ही चाहते हो,
कैसे कहूँ तुम मेरे लिए क्या हो?
बस समझ जाना खुद ही,
जैसे समझ जाते हो, मेरे दिल की हर एक बात, हर  बार,
जब तुम मेरे पास होते हो...

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