Showing posts with label Inspiration. Show all posts
Showing posts with label Inspiration. Show all posts

Wednesday, May 17, 2006

नाश धरती का

धरातल से बढ़कर वह पेड़ नभ तक पहुँचा,
वहाँ पहुँच कर भी उसने नभ में उड़ने का सोचा |
कितना महान है वो जो शिखर पर पहुँच कर भी अपनी महानता दिखलाए,
अपनी खुशी त्यागकर दूसरों की खुशी में भी मुस्काए |
उसने अपना सर्वस्व दान किया औरों के लिए,
जिन्होंने कुछ किया उसकी ख़ातिर |

आज का ज्ञानी मनुष्य अब भी अज्ञानी है इसमें कोई संदेह नहीं,
क्या उसने कभी वन बनाने की सोची है कहीं?
मनुष्य ने बड़े-बड़े सपने देखे, पूरा भी किया उन्हें,
मगर हे मनुष्य! इससे दूसरों को कितना कष्ट पहुँचा,
कभी सोचा है तूने?

मनुष्य के किये परिवर्तनों के कारण तूफ़ान और सुनामी आने लगी है,
धीरे-धीरे ये सौंदर्य संपदा कम होने लगी है |
परिवर्तन तो धरती के बाहर भी हो रहे हैं,
अंतरिक्ष फैला जा रहा है, ग्रह-नक्षत्र जगह बदल रहे हैं|
कुछ नए बन रहे हैं तो कुछ नष्ट हो रहे हैं,
इस धरती को बचाने की हम सिर्फ प्रार्थना कर रहे हैं!

अपनी ओर बढ़ते हुए नाश के राक्षसी हाथ को रोकना होगा,
तभी हमारा और इस धरती का बचाव संभव होगा|

Popular Posts

Featured Post

एक नया ख्वाब

आज मैंने चाँद को देखा, अधूरा था वो आज, थी पर उसमें उतनी ही कशिश, रुक गई थीं निगाहें वहीं, दर्द जैसे मैं भूल गई थी |  यूँ तो ज़िंद...