एक दुआ भेजती हूँ आज तुम्हें,
इस पैगाम के साथ,
कि रहे तुम्हारे साथ हमेशा,
एक साया प्यार का,
रहे ढाल बनकर ये छाया,
तुम्हें बचा ले हर एक धूप से,
कोई तकलीफ तुम्हें छू भी न पाए,
और हर दर्द तुम्हारा अब इसे मिल जाए |
माँगा है कुछ और भी ऐसा तुम्हारे लिए,
ज़रूरी है जिसका होना साथ,
तुमने तो शायद कभी चाहा नहीं,
या फिर चाह कर भी पाया नहीं,
माँगा है आज, कुछ पल का सुकून, तुम्हारे लिए,
और कुछ लम्हे तन्हाई के,
जिसमें तुम बस अपने साथ रहो,
और सोच सको, पहचान सको खुद को,
देख सको अपनी वो तस्वीर,
जिससे बस दूर जाना चाहा तुमने हमेशा,
यूँ खुद से दूर रहकर कैसे खुश रह पाओगे,
कैसे पा सकोगे वो सारी ख़ुशी जो बस तुम्हारे लिए हैं |
कब तक खुद को यूँ तकलीफ में रखोगे,
और कैसे चुपचाप देखूँ मैं तुम्हें इस तरह,
काश कि बस इतना हक़ दिया होता तुमने,
कि तुम्हारी तकलीफ बाँट सकूँ,
कि कुछ पल रो सकूँ तुम्हारे हिस्से के आँसू,
जिन्हें तुमने तो अपने दिल में दफ़्न कर दिया,
कभी न ज़िंदा होने के लिए,
काश कि बस इतना हक़ दिया होता,
कि एक-एक कर जुदा कर दूँ तुमसे,
तुम्हारा हर एक दर्द,
तुम्हारा हर एक डर,
और भीड़ में घिरा तुम्हारा अकेलापन,
काश कि आकर बस एक बार तुमने कहा होता,
कि हक़ दिया है तुमने मुझे,
सिर्फ कुछ पल तुम्हारे दिल में जा बसूँ,
वहाँ बस फिर ख्वाहिशें रहतीं,
वहाँ से बस फिर खुशियाँ बहतीं,
होता गर कोई आँसू भी,
तो कहता भी वो बस इन्हीं की दास्तान,
वहाँ बस फिर ख़्वाबों की परियाँ रहतीं,
और होती एक दुनिया जन्नत सी तुम्हारे लिए,
तुम्हारे ही दिल में,
काश कि बस एक बार तुमने,
हक़ से आकर मुझसे कह दिया होता,
वो सब कुछ जो तुम्हारे दिल में है,
मैं तो अब भी इंतज़ार में हूँ,
काश कि तुम अब कह दो मुझसे सच,
वक़्त गुज़रने से पहले |
काश कि तुम समझ जाओ,
मैं बस इतना ही चाहती हूँ,
कि तुम जियो तुम बनकर,
तुम्हीं से छुपकर तुम यूँ परेशानियों से न घिर जाओ !
तुम नहीं हो अकेले,
अपने मन के उस कोने में भी नहीं,
जिसे तुमने छुपा कर रखा है खुद से भी,
वहाँ तो मैंने तुम्हारी असल रोशनी देखी है,
वहाँ उस मन में हम दोनों एक दूसरे की परछाई ही हैं |
अंतर्मन के उस धरातल पर,
हमारे अस्तित्व बिलकुल एक जैसे हैं !
फिर कैसे नहीं समझ पाऊँगी मैं तुम्हें ?
क्यूँ नहीं जान पाऊँगी दर्द तुम्हारा !
बस हक़ दे दो मुझे इतना,
कि कह सकूँ तुमसे "मैं समझती हूँ तुम्हें"
बस कि रह सकूँ साथ तुम्हारे,
उस अकेलेपन में,
जिसे आज मैंने तुम्हारे लिए माँगा है |
रहें हम वहाँ निःशब्द |
और हमारी आत्मा संवाद करती हो |