Monday, November 12, 2012

आज जब तुम सपना देखो

आज जब तुम सपना देखो,
कहना मत मुझसे फिर आकर,
कि क्या तुमने सपना देखा,
कैसे नदी पहाड़ वहाँ के,
कैसा जीवन जीना होता,
मैंने तुम्हें दिया जो वही था,
सपने का एक बीज ज़रा सा,
कहकर तुमसे ये के जो भी,
चाहो तुम वो ख्वाब में पाना,
फिर तुम्हीं उसे हकीक़त बनाना | 

आज जब तुम सपना देखो,
कहना मत मुझसे फिर आकर,
कि "तुम मेरे ख्वाब में आना,
मेरे सपनों की दुनिया को,
सपनों जैसा तुम ही सजाना |"
मैं हूँ हर दम साथ तुम्हारे,
पर कौन यहाँ सदा को रहता,
जब भी मैं छोड़ूँ ये दुनिया,
तुम बस इस आत्मा को पाना,
और उसी से तृप्त हो जाना | 

आज जब तुम सपना देखो,
गर उसमें तुम काँटे पाओ,
और उस राह पर चल न पाओ,
कहना मत मुझसे फिर आकर,
कि "फूलों की राह बना दो",
मैं कह दूँगी तुम्हें यूँ भोले,
बना भी दूँ गर राह तुम्हारी,
मैं ही सुन्दर और यूँ न्यारी,
व्यर्थ होगा फिर जीवन तुम्हारा,
जो इसमें मुश्किल न संभाली,

"कल" जब तुम अब सपना देखो,
आज का सपना उसे बताना,
देखना आई कितनी परिपक़्वता,
कितना सीखा इस सफर में,
दो सपनों के बीच का अंतर,
(एक जन्म, दूसरा मृत्यु)
इसी का नाम तो ये जीवन है,
इस फर्क को सही पाटना,
हँस - हँस के यूँ जीवन काटना,
यही है वो जो मैंने सिखाया,
इसी पे अपना जीवन लगाया,

"मात-पिता बस यही हैं कहते,
जीवन में तुम चलते-चलते,
साथ सदा रखना एक सपना,
पूरी करे जिसे प्रेरणा!"
-------
मैं साथ रखूंगी वो बीज सदा ही,
जिससे ये प्रेरणा पाई,
अंगुली थामे जिनकी चलके,
सपनों ने थी ली अंगड़ाई,
हर एक दिन के सुबह का सूरज,
जिनके साये तले देखा था,
मैं साथ रखूंगी वो वृक्ष सदा ही,
जिससे ये जीवन बना था!

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