Saturday, June 30, 2012

अनमोल

कितना अजीब सफर है ज़िंदगी,
अन्जाने ही लोग कैसे अपने हो जाते हैं,
किस राह से बिछड़ किस मंज़िल पर मिल जाते हैं | 

शायद समझा ही नहीं तुम्हें कभी मैंने पूरी तरह,
राहें हमारी मिल कर अलग होती रहीं,
पर तुम्हारी दोस्ती थी हर राह में साथ मेरे,
जाना ही नहीं था कि सफर आसान तो इसी ने किया था मेरा,

तुम्हारी भावनाओं से हरदम रही अन्जान,
हर वक़्त बस यही रहा यकीन,
कि तुम्हारे लिए नहीं है ज़िंदगी में अहमियत भावनाओं की,
पर मैं गलत थी,
और खुश हूँ की ऐसा है,

आज जाकर हुआ एहसास,
कि दूरियाँ नहीं करतीं अलग दिलों को,
जुड़े रहते हैं मन के तार,
अपने चाहे जहाँ रहें,
तुम्हें बस शुक्रिया अदा करना है,
मेरे साथ होने के लिए,
दूर रहकर भी मन के पास होने के लिए,

तुम्हें न हो गर यकीन फिर भी,
ये दोस्ती मेरे लिए हमेशा अनमोल रहेगी | 

Wednesday, June 27, 2012

तूफ़ान

कैसा डर है ये, कैसी अनिश्चितता,
क्या डरती हूँ तुम्हें खो देने से,
या फिर बस ये तुम्हारी विमुखता का डर है,

ये द्वंद्व जकड़े है मन को,
साफ़ सोचने नहीं देता,
ये कैसा तूफ़ान है मन में,
जिसने सारा आसमान धुंधला दिया मेरा,
छीन ली है मेरी उड़ान,

कैसे हो रही है प्यार से नफ़रत,
प्रेम के जज़्बे में द्वेष की जगह ही कहाँ है,
शायद वक़्त ही मुझसे ख़फ़ा है,
तन्हाई भी है, दिल भी, दर्द भी, और तुम नहीं हो,
मेरे लिए तो तुम हो मौजूद यहीं मेरे हर एक पल में,
पर क्या तुम्हारी कल्पनाओं में मैं हूँ, 
क्या थी मैं कभी?
या फिर हो पाऊँगी?

कितनी खामोश सी हैं ये तन्हाइयाँ,
अजनबी हो गई हैं जैसे,
मुझसे कुछ कहती ही नहीं,
अब तो अश्क़ भी उजागर नहीं होते,
कुछ रहा ही नहीं शायद जिसके लिए ये न बहे हों | 
थक गए हैं ये भी तो अब,
शायद मैं भी | 

धैर्य, कोई तो सीमा रखता होगा,
या बस सीमा को ही धैर्य रखना होगा हर बार?

ये बेफिक्री तुम्हारी मैं भी सीखना चाहती हूँ,
अपने हिस्से की शांति चाहती हूँ केवल,
हो सकता है मैं तुम्हारे प्यार के काबिल नहीं,
पर कुछ लम्हों का सुकून तो ईश्वर ने इन लकीरों में भी लिखा होगा | 

Monday, June 4, 2012

चाँद ने जोड़ा है तुम्हें और हमें

चाँद ने जोड़ा है तुम्हें और हमें यूँ,
इस चाँदनी में भीगे हो तुम भी कभी और हम भी कभी,

वक़्त तो था बस एक धोखा,
पल वो तुम्हारा एक था,
पल वो हमारा एक था,
साथ ही थे हम उस पल में,
तुम थे कहीं, हम थे कहीं,

दूरियाँ तो बस थीं एक वहम,
दिल से जुड़े थे, तुम भी वहीं , हम भी वहीं | 

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